Third Place Entry - 2024

Third Place Entry - 2024

एक रविवार, जब सूरज अपने प्रचंड रूप में था, तभी मेरे फोन उठाने पर मुझे मेरी बचपन की सहेली दीक्षा की आवाज़ सुनाई दी। वह चौथी कक्षा में दूसरे प्रदेश चली गई थी। फिर क्या, मैंने बिस्तर को ऐसा छोड़ा मानो मेरी ट्रेन छूट रही हो। जैसे ही मैं उसके घर पहुँची, दरवाजे पर दादी के हाथों के बने लड्डुओं की खुशबू ने मेरा स्वागत किया। उन लड्डुओं की मिठास ने बचपन की सारी यादें ताज़ा कर दीं।

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Fourth Place Entry - 2024

Fourth Place Entry - 2024

मेला जनमानस के समागम का स्थल है,
जहाँ कई बार मिलन दो व्यक्तियों का ही नहीं,
स्वयं का स्वयं से भी संभव है।

2023
रात्रि के एक बजे थे। राघव की आँखों में नींद नहीं थी। बस छत को व्यर्थ ही ताके जा रहा था। कल मेले का पहला दिन था। इसी मंता में करवट बदल रहा था।
"कल पिताजी भी चलेंगे"
अपने पिता के मन में वर्षों से चल रही ऊहापोह को वह आज पहली बार समझ पा रहा था।

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