Special Mention - Poem

 
 

काश से विश्वास तक 

शहर हमारा कैसा होगा?
जवाब कोई कठिन नहीं,
उत्तर की कुछ पंक्तियां खंगालिनी होगी,
बजुर्गो की अमिट सी यादों से,
और आने वाले कल की वादों से,

"दादा जी प्रणाम" सुनते ही,
चमक उठी झुराई सी आंखें,
पलकों को मसलकर,
यादों की जवां दिल के सरीखे,

कुछ कौतूहल सी सवालों से,
विस्तारित जवाबों की आस लिए,
"मगध" की पहचान समेटे हुए,
"गया" शहर का गौरवपर्णू इतिहास लिए,

"दादा जी अब आपकी बारी,
इतिहास सा जीने की तैयारी,
कैसी रही यात्रा हमारे शहर की,
बुद्ध के यगु से वर्तमान की"?

जो शायद किसी संग्रहालय में नहीं,
पूछे ही जा रहा था मैं,
भविष्य की मानचित्र बनाते हुए,
सोचे ही जा रहा था मैं,

दादा जी-"अच्छा तो ठीक है,
जब तुमने सुनने को ठान लिया,
गया की भमिू है वैसी,
दुनिया को अहिंसा का ज्ञान दिया"

"दुनिया को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया,
सिद्धार्थ को गौतम बुद्ध बनाया,
शहर हमारा प्राचीन हो मगर,
बदल सकते हैं सोच नवीन हो अगर,

अब आगे की बागडोर तुम्हारी,
शहर हमारी सोच तुम्हारी,

"ठीक है दादा जी,
आपके और मेरे सोच का,
शहर हमारा मेल होगा,
स्वर्ण यगु सा था पहले,
हीरे सी तरासने का पहल होगा,

जब बात करे हम शहर की आने वाले कल की,
स्वच्छता हमारी प्राथमिकता होगी,
साफ सफाई व्यवस्था चौबंद मिलेंगे,
कचड़े कूड़ेदानों में बंद मिलेंगे,

पर्यावरण संरक्षण का पहल होगा,
स्वच्छ सुन्दर हमारा कल होगा,
जहरीली न हो हवा हमारे शहर की,
प्रदूषण नियंत्रण सरल होगा,

अस्पतालों की नियमित साफ सफाई,
गरीबों को स्वास्थ्य उपलब्धता की भलाई,
सस्ती स्वास्थ्य और दवाई का भरमार होगा,
अब न कोई और महामारी का प्रहार होगा,

नारी सुरक्षा अचकू मिलेंगे,
सीसीटीवी हर चौक मिलेंगे,
मानसिकता का पाठ होगा,
समानता का ठाठ होगा,

स्कूली शिक्षा का मजबतू हाल होगा,
बालिका बालक शिक्षा का भौकाल होगा,
अज्ञानता का डोर कमजोर होगा,
बुद्ध से वर्तमान तक का जोड़ होगा,

सड़क चौड़ीकरण से नवीनीकरण तक,
जाम मुक्ति से लेकर ट्रैफिक आचरण तक,
हर व्यवस्था पंक्चुअल मिलेगा,
पुलिस से लेकर म्युनिसिपल कोरोपोरेशन तक,

आपसी भाईचारे का नाम होंगे हम,
गंग-जमुन तहजीब का संगम होंगें हम,
मानव मूल्यों का ही नाम करेंगे हम,
मानवता के लिए ही काम करेंगे हम,

दादा जी -
"पर ध्यान में रखना इस बात को,
खो न देना कहीं पिछले प्रयास को,
आने वाला कल में हम मानव ही रहेंगे,
खो न देना लक्ष्य 'सतत विकास' को,"

"कोई मानव भूखा न सोए,
ऐसी पहल हो हमारी,
फल्गु के शीतल सी,
पीने को उपलब्ध जल हो हमारी,"

"बेगारी और लाचारी का नाम न हो,
रोजगार गारंटी ही हमारी पहचान हो,
कोई और पलायन हम न झेलें,
हम चाहते हैं हमारे अपने लोग,
अपने शहर में खाए, अपने शहर में खेले,"

"महिला को मुख्यधारा में लाना,
इस प्रयास को सफल बनाना,
तभी विकास गिनी जायेगी,
जब लक्ष्मी सरीखी महिला नेतृत्व मेंआएगी",

"गर जो बात हो शहरी विस्तार की,
शिक्षा,स्वास्थ्य को ध्यान में रख करना,
रोड साइड में कोई ठेले न दिखे,
उचित दुकान उनके लिए,
बस ये बात ध्यान में रखना,"

"कचड़ा प्रबंधन सफाई का समुचित उपाय,
बारिश में कोई कूड़ा बहकर आ न पाए,
तभी तो सर्वजन स्वस्थ रह पाएंगे,
स्वच्छता मेंअव्वल आ पाएंगे,"

"खाली भमिू पर वृक्षारोपण हो,
स्वच्छ सुंदर पर्यावरण का आरोहण हो,
वक्षृ हमारी सुंदरता में,
चार चांद लगाएंगे,
हम पर्यटनर्य से ही गिने जाते थे,
पर्यटनर्य से ही गिने जाएंगे,"

"फाह यान हो या हुएन त्सांग ,
ज्ञान और विचारों में उत्तम हैं,
कायम हो हमारी ऐसी परंपरा,
तमु युवाओं की जिम्मेदारी ही प्रथम है,"

"ठीक है दादा जी,
जब अनभवु और जोश का जोड़ होगा,
शहर हमारा जो सपनों का,
असलियत से बढ़कर भी बेजोड़ होगा"

देख उम्मीद अपने आने वाले कल की,
उन वृद्धों की आखें चमक उठी,
जो काम अधूरा उनका था,
पूरी होने की आस जगी,

हम युवा शक्ति हमारी कर्म ही भक्ति,
हम इस शहर से हर दम जीतेहैं,
कुछ कर जाएं हम कुछ आस लिए,
चलो आज से शहर को जीतें हैं।।

 

Gautam Kumar is a Third Year student of the BA. LLB. course at Central University of South Bihar.

This piece is part of Nagrika’s Annual Youth Writing Contest. Through the writing contest we encourage youth to think creatively and innovatively about their cities.